माता रानी के दुर्लभ दर्शन की प्राप्ति होना स्वयं में अपार शक्ति और श्रद्धा का विषय हैं। अगर मां वैष्णो देवी में आपकी अपार श्रद्धा और विश्वास है तो एक बार इस मंदिर का दर्शन अवश्य करे। इस मंदिर में आने मात्र से आपके जीवन के सभी कष्ट दूर होंगे और मां आपकी झोली खुशियों से भर देगी।
भारत के राज्य जम्मू और कश्मीर के जम्मू क्षेत्र में स्थित कटरा नगर में स्थित त्रिकुटा पहाड़ियों पर मां वैष्णो देवी का भवन है जहा तीन पिंडी है। लक्ष्मी मां के साथ दो और पिंडी है जो मां सरस्वती और मां काली के हैं। मां सरस्वती बाए ओर विराजमान है और मां काली दाहिनी ओर विराजमान हैं। इन तीनों पिंडी के साथ को ही मां वैष्णो देवी का मंदिर कहा जाता हैं।
यहा एक प्राचीन गुफा है जो 98 मीटर ऊंची है इस गुफा में मां की पिंडी हैं। अनवरत जल धारा बहती रहती हैं। धार्मिक दृष्टि से यह मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिर में से एक हैं।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा माना जाता है की मां ने भैरव का वध इसी मंदिर भवन में किया था भैरव का शरीर यही रह गया था और उसका सर 3 किलोमीटर दूर जाके गिरा था जो की भैरव मंदिर के नाम से जाना जाता हैं।
माता रानी का परम भक्त होने के कारण उसे एक आशीर्वाद भी प्राप्त हैं जिसके अनुसार यदि आप माता के दर्शन के बाद भैरव बाबा के दर्शन नहीं करते है तो आपको दर्शन का फल नहीं मिलेगा।
मैने अपनी यात्रा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्रारंभ की है। नई दिल्ली से जम्मू या सीधे कटरा तक जाने वाली कई ट्रेन है। मैने राजधानी एक्सप्रेस में टिकट लिया और सीधे जम्मू तक गए ट्रेन की यह यात्रा बेहद सुखद और आरामदायक रही। जम्मू स्टेशन पर उतर कर हमने लोकल बस ली जो आपको एक से डेढ़ घण्टे में कटरा बस स्टैंड पर उतार देगी। आप चाहे तो सीधे कटरा के लिए भी ट्रेन ले सकते हैं।
कटरा हम सुबह 7बजे के करीब पहुंच गए। यहां पर बहुत बड़ी कटरा की मार्केट है जहा रहने सोने खाने पीने की सभी सुविधाएं मिलेगी। यहां बहुत से लाउंज, होटल है जहा आप रूक सकते हैं। हमने होटल डिवाइन ओका में स्टे किया था।
प्राकृतिक हादसों और कोविड को देखते हुए यात्रा में बहुत से बदलाव किए गए है जो जानने बेहद जरूरी हैं।
अब आपको यात्रा के लिए सबसे पहले यात्री कार्ड बनवाना जरूरी हैं।ऑनलाइन बुकिंग का अब कोई प्रावधान नही हैं। यदि ऑनलाइन आप यात्रा पर्ची पा भी जाए तो भी कार्ड के बिना आपको यात्रा प्रारंभ करने को नही मिलेंगी।
यह यात्रा कार्ड आपको बस स्टैंड पर बने हुए ऑफिस से मिल जायेगा। अगर आप ट्रेन या हवाईयात्रा से आ रहे है तो भी आपको कटरा आना होगा और यही कटरा चौराहे पर Shri Mata Vaishno Devi shrine Board नाम से यह ऑफिस है यहां आपके चेहरे की फोटो ली जाती हैं और नाम ताकी यह कार्ड आपको खोजने में मदद कर सके।
आपको माता के दर्शन के लिए बाढ़ गंगा से होते हुए ही जाना है इसलिए आप चाहे तो यह दूरी पैदल तय करे या लोकल ऑटो रिक्शा कर ले जिसका मूल्य 150 रुपए हैं।
बाढ़ गंगा से लंबी लाइन लगनी शुरू हो जाती है जहा आपका समान चेक किया जाएगा आपके कार्ड को देखा जायेगा। कार्ड न होने की स्थिति में आपको वापस लौटा दिया जाएगा।
चेकिंग के बाद जैसे ही आपके परिसर के गेट में अंदर आते है आपको चढ़ाई करने हेतु कुछ सुविधाएं मिलती है। जैसे घोड़ा , पालकी , बच्चो के लिए गाड़ी या आपके पास समान है तो भी आप यह गाड़ी ले सकते हैं।
अब माता रानी का स्मरण करते हुए हमने यह यात्रा प्रारंभ कर दी, बाढ़ गंगा से मंदिर के भवन की दूरी लगभग 15 से 16 किलोमीटर है, हर दूरी आप कितने समय में पूरी करते है या कितना रुकते है कितने तेजी से कदम बढ़ाते है यह आप पर निर्भर करती हैं।
हमने अपनी यह यात्रा 10 बजे से शुरू करी थी और 3 बजे तक हमने भवन तक की यात्रा पूरी की। यात्रा के बीच में कई पड़ाव आयेगे कई स्टाल लगे मिलेंगे और अनेक सुविधाएं होगी जिनके विषय में हम आपको विस्तार से बताएंगे।
बाढ़ गंगा से माता के दर्शन के लिए अब हम निकल चुके थे सफर कठिन जरूर था पर मौसम बेहद सुहाना था। सितंबर अक्टूबर का महीना माता के दर्शन के लिए बहुत सुखद है हल्की बारिश , हल्की ठंडी हवा इस सफर को सुहाना बना देती हैं।
सफर में आपको थकावट भी महसूस होगी और प्यास भी बहुत लगेंगी। ऐसे में कोशिश करिएगा लिक्विड डाइट ले हमने ऐसा ही किया जूस, फल, का अधिक प्रयोग किया और अनाज का सेवन नहीं किया जिससे शरीर में फुर्ती रहती हैं और आपका सफर जल्दी तय होता हैं।
आपकी सुविधा के लिए जगह जगह पानी और चाय के स्टाल है। भोजन की सुविधा है, थक जाने पर बैठने के लिए बेंच है। ऊपर की ओर टीन शेड लगे होने से आप धूप , गर्मी, पानी आदि से भी बचे रहते हैं।
महिलाओं और पुरुषों के लिए कई स्थानों पर शौचालय भी बने हुए हैं जिसका प्रयोग आप कर सकती हैं। कई पर सीढ़ियों की भी सुविधा है। लेकिन मेरा ऐसा अनुभव है की सीढ़ियों से अधिक आराम आपको लंबे रास्ते से मिलेगा।
यदि आप इतनी लंबी यात्रा पर जा रहे है तो कुछ आवश्यक बातों का ध्यान दे। जैसे की कपड़े वही पहने जो कंफर्टेबल हो बहुत अधिक भारी या फैंसी कपड़े न पहनें जिसमे आपको असुविधा हो साथ ही पैरो में आरामदायक जूते पहने।
अपने साथ आप कुछ खास दवाएं जरूर ले। इन्हेलर, विक्स, सरदर्द , पेट दर्द , पाचक, हाजमोला और वोलिनी स्प्रे जरूर ले। रास्ते में आपको मेडिसिन की शॉप मिलेगी पर कोशिश करे की यह आपके जरूर हो।
धीरे धीरे चलते हुए आपको रास्ते में एक मंदिर मिलेगा जो माता का ही मंदिर है यह मां के चरण पादुका है आप इस मंदिर के दर्शन जरूर करें। यह आपको विश्राम करने का भी स्थान हैं।
यहा से भवन तक जाने के लिए दो मार्ग है हेमकोटि और हाथी माता मंदिर। हेमकोटि से भवन का रास्ता 5.5 किलो मीटर है। और हाथीमाता मार्ग से भवन की दूरी 6.5 किलोमीटर हैं। रास्ते में अर्ध कुमारी मंदिर भी पड़ेगा। जहा भक्तों की भीड़ होती हैं।
यहां तक आपकी आधी यात्रा पूरी हो जाती है। शेष आधी यात्रा बचती हैं।। यहां रुकने का अच्छा प्रबंध हैं। भोजलालय हैं, बैठने की अच्छी व्यवस्था हैं। इस मार्ग से आगे बढ़ने पर आपकी एक बार और चेकिंग होती हैं। आपको अपना यात्री कार्ड खोना नहीं हैं इसके को जाने पर आपकी यात्रा पुलिस प्रशासन द्वारा रोकी जा सकती हैं।
इसके बाद कुछ मिनट का रेस्ट लेके हमनें अपनी यात्रा फिर शुरू की। अब धीरे धीरे शाम की ओर बढ़ रहे थे मौसम भी काफी सुहाना हो रहा था। ऊंचाई पर आने से सर्द हवाएं तेज हो जाती हैं और आपको प्रकृति की एक अद्भुत छटा का रूप देखने को मिलता हैं।
साढ़े 5 किमी की यात्रा के बाद हम भवन तक पहुंच गए। मां के भवन का अद्भुत नजारा था। भक्तों की भीड़ और मां के जयकारे के साथ पूरा मंदिर गूज रहा था।
माता के दर्शन के लिए आपको प्रसाद परिसर से ही मिल जायेगा। प्रसाद कई तरह के है 70, 80 , 50 ,आदि। मैने 70 का प्रसाद लिया जिसमे नारियल , रक्षा सूत्र, कलेवा, चुनरी, थे। इसके बाद हमने हाथ पैर धोए आप चाहे तो स्नान भी कर सकते हैं।
आपको दर्शन से पहले अपने साथ लाया हुआ सारा सामान जमा करना होता हैं। मंदिर के अंदर आपको प्रसाद के अलावा कुछ भी ले जाने की मनाही हैं। मंदिर के समीप ही दो स्थानों पर फ्री लाकर की सुविधा है। जहा आप अपना सारा सामान जमा कर सकती है। मोबाइल , घड़ी, बेल्ट आदि को अंदर ले जाना वर्जित हैं।
लंबी लाइन और पुलिस प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था से होते हुए मंदिर के परिसर में पहुंचे। 16 किमी की कठिन यात्रा के बाद अब वो पल आ गया जहा मां के दर्शन होने थे। मन को सुकून और भावुक कर देने वाला यह पल अब मेरे सामने था। मैने मां के दर्शन करे। और उनका धन्यवाद किया की मां ने मुझे बुलाया।
दर्शन के बाद हमने माता को गुफा पर माथा टेका। यह गुफा 42 मीटर लंबी थी। इस गुफा से होते हुए हम उस स्थान पर पहुंचे जहा मां की पिंडी रखी हुई थी। पंडित जी ने दर्शन कराए माथा टेका इसके बाद हम परिक्रमा की माता के चरणों का अमृत लिया। बाहर निकलते हुए हमें हमारा चढ़ाया हुआ प्रसाद नारियल मिलता हैं आगे बड़ने पर सभी भक्तो को माता का खजाना मिलता हैं।
अब हम मंदिर से बाहर आ चुके थे। यहा से हमें अपनी दूसरी यात्रा प्रारंभ करनी थी। भैरव बाबा के दर्शन के लिए। यात्रा शुरू करने से पहले हमने जलपान लिया। मां के धाम के राजमा चावल बेहद प्रसिद्ध है। कढ़ी चावल, राजमा चावल आप इन्हे एक बार जरूर आजमाएं।
भैरव बाबा के दर्शन के बिना मां का दर्शन अधूरा हैं। इसलिए आप भैरव बाबा के दरबार में जरूर उपस्थित होए। भैरव बाबा का मंदिर मां के भवन से तीन किमी दूर हैं। जिसका रास्ता बेहद कठिन हैं। इसलिए यह रॉपवे की सुविधा भी हैं।
मंदिर के बाहर से ही रोपवे का ऑफिस है जहा से लाइन लगती हैं मंदिर तक जाने के लिए। जिसका किराया पर व्यक्ति 100 रुपए हैं जिसमे आना और जाना दोनो ही शामिल हैं। 25से 30 व्यक्तियो का समूह एक बार में रॉपवे से जाता हैं। रोपवे का समय निश्चित हैं जिसका समय सुबह 9बजे से शुरू होती है शाम के 5:30 बजे तक हैं। साढ़े पांच बजे के बाद जाने की एंट्री बंद हो जाती है और केवल वापसी होती हैं, जो 7 बजे तक ही होती हैं।
माता रानी के भवन से एक रास्ता ऊपर की ओर जाता है और एक वापसी का नीचे की ओर। ऊपर जाते हुए रास्ते से आप भैरव बाबा के मंदिर पहुंच सकते हैं। जिसकी दूरी 3किमी हैं।
रॉपवे की मदद से हम मंदिर तक पहुंचे। जहा हमने भैरव बाबा के लिए प्रसाद लिया। यहां भी लाइन लगती है और आप बाबा के दर्शन करते हैं। इसके बाद हमने पुनः रोपवे से ही वापसी की। और वापस मंदिर तक आएं।
भवन से अब हमने वापसी करी। उतरते हुए शरीर में थकान ,दर्द बहुत अधिक था ,पर माता का नाम लेते हुए हमने हिम्मत न जुटाई और बढ़ चले वापस बाढ़ गंगा की ओर।
रास्ते में हमने कॉफी का आनंद उठाया, शरीर में ताकत के लिए फल खाए। चॉकलेट खाई जो शरीर को ताकत देती है। सफर को एंजॉय करते हुए हम बढ़ते रहे अब हम वापस से अर्धकुमारी तक आ गए थे आप चाहे तो यहां से भी कुछ दूरी पर मां का मंदिर है दर्शन कर ले या उतरने की दिशा में आगे बढ़ते रहे।
अब रात्रि हो चुकी थी, और रात्रि में कटरा की ऊंचाई से खुबसूरती मन को मोह लेंगी। मां का भवन भी जगमगा रहा था। हल्की हल्की सी ठंडी हवा आपको थकने नहीं दे रही थी।
भवन से लौटते हुए हमने फूट मसाज ली। 15 मिनट की फूल बॉडी मसाज ने हमें बहुत रिलैक्स किया। यहां दो तरह को मसाज है एक पैरो के लिए जो 15 मिनट के 30 रुपए लेती हैं और एक 50रुपए की जिसमें फुल बॉडी मसाज होती हैं।
रात्रि के 11बज चुके थे अगले आधे घंटे में हम बाढ़ गंगा पहुंचने वाले थे। एक लंबी यात्रा के बीच बीच में हमने नींबू पानी और फल खाए ताकि शरीर के कोई कमजोरी न हो। साथ ही आप लोगों से बात करते हंसते बोलते हुए चलिए आपका सफर यूं काट जायेगा। लोगों से मिले उनसे अपना जुड़ा अनुभव शेयर करे उनकी यात्रा से जुड़ा खास पल जाने आपको बहुत अच्छा लगेगा।
अब हम वापस से उस स्थान पर आ चुके थे जहा से हमने अपनी यात्रा शुरू की थी। यहा पहुंच कर हमने अपने यात्रा कार्ड वापास करे।अब पुनः हमने कटरा के लिए आटो ली और कटरा पहुंचे जहा उतर कर हमने स्वादिष्ट भोजन लुफ्त उठाया और पास में ही अपने होटल पहुंच गए और आज की यात्रा को हमने यही विराम दिया।
अगली सुबह हमने कटरा की ताजी हवा के साथ चाय की चुस्की ली। यहां को बन और चाय बहुत टेस्टी हैं। अगर हम यहां के लोकल लोगों की बात करें तो लोग बहुत अच्छे और मिलनसार हैं। मेहमान नवाजी का बखूबी साथ हैं।
हमने यहां की पूरी मार्केट घूमी पसंद के समान लिए, अखरोट, सेव, ड्रायफ्रूट्स यहां के बहुत अच्छे हैं। यहा की लोकल मार्केट में खाने पीने से लेकर सब कुछ मिलता है। यहां आपको रुकने के लिए सस्ते महंगे सभी प्रकार के होटल मिल जायेगें।
कटरा मार्केट से 100रूपए में आप कटरा रेलवे स्टेशन पहुंच जायेंगे। कटरा रेलवे स्टेशन भारत सेंट्रल रेलवे का आखिरी स्टेशन हैं। यहां से नए दिल्ली के कई ट्रेन चलती हैं। हमने यहां से वन्देभारत ट्रेन ले लो बहुत ही अच्छी ट्रेन है जिसमे आपको भोजन ,स्नैक्स ,चाय मिलेगी। यह ट्रेन 11बजे दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचा देगी। इस तरह मैंने एक यादगार यात्रा को पूर्ण किया।
यहा एक प्राचीन गुफा है जो 98 मीटर ऊंची है इस गुफा में मां की पिंडी हैं। अनवरत जल धारा बहती रहती हैं। धार्मिक दृष्टि से यह मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय मंदिर में से एक हैं।