आपका व्यक्तित्व आपका दर्पण होता हैं। आप क्या है ?कैसे है ? यह पहले आपके बाहरी व्यक्तित्व से ही पता लगता हैं। आपको दूसरे के सामने खुद को कैसे प्रेजेंट करना है इसका ज्ञान होना बहुत ही जरुरी हैं।
हर मनुष्य में कुछ साधारण या असाधारण प्रतिभा अवश्य होती है। जन्म से या अपनी मेहनत या लगन से हर व्यक्ति कुछ ऐसे गुण अवश्य प्राप्त कर लेता है , जिससे वह अपनी अलग पहचान बनाता हैं। इन गुणों के समूह को ही मिला कर व्यक्ति का व्यक्तित्व बनता हैं।
व्यक्तित्व का विकास आंतरिक और बाहरी रूप से प्रभावित होता हैं। आंतरिक विकास वह विकास है जहा आप अपने जन्म जात गुणों को विकसित करते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप को जन्म से ही मधुर कंठ मिला है तो आप बड़े होकर गायक या गायिका बन सकते हैं।
बाहरी व्यक्तित्व के विकास में वह गुण आते है जो समय के साथ आते हैं। आप कोई विशेष कोर्स करें, या जीवन ने निरंतर कुछ नया सीखते हुए अपनी प्रतिभा को बढ़ाएं। इन गुणों से आपकी पर्सनेलिटी में बदलाव आता हैं तो वह आपका बाहरी विकास करता हैं।
आपके व्यक्तित्व के विकास में या उसके बिगड़ने में बहुत से कारकों का हाथ होता है जो एक व्यक्ति के विकास को प्रभावित करते हैं। इनमे कई कारक है जो निम्न हैं:
पारिवारिक कारक में विशेष रूप से प्रभावित करता है माहौल। आप कहा जन्म लिए लिए हैं ,आपके परिवार की सोच कैसी हैं, शिक्षा कितनी है, या आपके माता पिता का रोल कैसा है आपके जीवन में। कई बार माता पिता के आपसी कलह से भी विकास रुक जाता हैं।
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं। वह जन्म से मृत्यु तक समाज के बीच में पलता बढ़ता हैं। समाज में होने वाली सभी गति विधियों का इस पर असर पड़ता हैं। वह किन लोगों से दोस्ती करता हैं कैसे लोगों के साथ उठता बैठता है , संगति का असर पड़ता हैं।
व्यक्तिगत कारक वह होते हैं जो डायरेक्ट आप को प्रभावित करते हैं। उदाहरण के तौर पर आप धनी हैं निर्धन हैं, आपकी बुद्धि क्षमता कितनी हैं, आपके अंदर चीजों को आत्मसात करने की कितनी प्रवृत्ति है यह सभी बातें निर्भर करती है आपकी पर्सनैलिटी पर।
आपकी शारीरिक बनावट, रंग ,रूप कोई विकलांगकता आपकी पर्सनैलिटी को बहुत प्रभावित करती हैं। उदाहरण के तौर पर यदि आप शारीरिक रूप से अपंग है तो आप एक स्वस्थ मनुष्य से पिछड़ जायेंगे।
आर्थिक कारक वह होते है जो डायरेक्ट या इन डायरेक्ट प्रभावित करते हैं। आर्थिक रूप से पिछड़े होने पर भी आपके व्यक्तित्व का पूर्ण विकास नही होता पाता हैं। धन के अभाव में अशिक्षा रह जाती हैं, या पहनावे , बाहरी प्रदर्शन न हो पाने पर भी व्यक्ति पिछड़ जाता हैं।
कुंठा , तनाव , अवसाद ये ऐसी मानसिक स्थिति हैं जहा आपका विकास रुक जाता हैं। ये परिस्थितियां वयक्ति को कभी आगे नहीं बड़ने देते हैं। एक अच्छे परिवेश में ही व्यक्ति का निखार होता हैं।
बाहरी व्यक्तित्व के विकास में वह गुण आते है जो समय के साथ आते हैं। आप कोई विशेष कोर्स करें, या जीवन ने निरंतर कुछ नया सीखते हुए अपनी प्रतिभा को बढ़ाएं।