जीवन में स्वस्थ और प्रसन्न रहने के लिए खुद को नेगेटिविटी अर्थात नकारात्मकता या उदासीनता से दूर रखना बहुत ज़रूरी है। क्योंकि निगेटिव थॉट हमें मानसिक रूप से बीमार करते हैं। शरीर मानसिक या शारीरिक रूप से बीमार रहेगा तो तो कभी अच्छे विचारों को अपना नही सकता, खुश नहीं रह सकता हैं।
आइए जानते हैं कुछ आसान से सुझाव जिससे आप जीवन में सकारात्मक ऊर्जा के साथ कामयाब हो सकते हैं:
दोस्तों का साथ औषधि की तरह होता है। उनके साथ बिताया हुआ थोड़ा समय भी आपको पॉजिटिविटी से भर देता हैं। दोस्त ही होते हैं जिनसे आप अपने मन की हर तरह की बात कह लेते हैं।
किताबें व्यक्ति की सबसे ख़ास दोस्त होती हैं। जीवन के हर मोड़ पर व्यक्ति को सही सलाह देती है , व्यक्ति का अकेलापन दूर करके उसे जीवन को सही ढंग से जीने का सबक देती हैं।
जब मन अशांत हो या अवसाद से घिरा हो ऐसी स्थिति में अपनी हॉबी फॉलो करें, पेंटिंग, डांसिंग, सिंगिंग, कुछ क्रेटिविटी करना जिससे आपके सोचने की शक्ति के साथ ही आपकी कार्य के प्रति रूचि और बढ़े।
संगीत में स्ट्रेस अर्थात तनाव को दूर करने की सबसे अधिक क्षमता होती हैं । ये आपके अंदर के स्ट्रेस को मिटा कर नई ऊर्जा का संचार करता हैं।
अवस्था जीवन की कैसी भी हो भूखे पेट न व्यक्ति का दिमाग काम करता है ना शरीर। इसलिए कभी कभी आपका मनपसंद खाना भी आपको मोटीवेट कर सकता हैं। आप चाहे तो अपनी मनपसंद डिश खुद बनाए या बाहर जा कर खाएं।
कॉफी या चाय स्ट्रेस को कम करने में हमारा सहयोग देते हैं। दोनो में ही निकोटीन पाया जाता है जो बॉडी की हल्का करने में सर दर्द कम करने में बहुत हेल्प करता हैं ।
घूमना फिरना किसे पसंद नहीं होता हैं। ऐसे में कोशिश करे खुद को फ्रेश करने के लिए कही बाहर जाए। जरूरी नहीं ट्रिप किसी महगी जगह या दूर की हो, आप अपनी फैमिली अपने दोस्तों के साथ एक अच्छी शॉर्ट ट्रिप भी ले सकते है जो आपको फ्रेश महसूस करवाएगी।
मन को अंदुरूनी शक्ति तभी मिलती है जब हमारी रोग प्रतिरोधक शक्ति अच्छी हो इसके लिए योग ,प्राणायाम बहुत उपयोगी हैं। थोड़ी देर ध्यान की अवस्था में बैठे और अपनी आन्तरिक शक्तियों को समझें।
खुद को कभी हार मत मानने दे, क्योंकि कहावत हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। यानी सब आपकी अपनी मनोस्थिति पर निर्भर करता हैं, आप खुद को जैसे विचारों से जागृत करेंगे वैसा ही कार्य करेंगे। इसलिए हमेशा खुद को प्रोत्साहित करें और हौसला बढ़ाए।
परिवार से बढ़ के आपका कोई शुभचिंतक नहीं होता हैं, उनके पास बैठने मात्र से ही आपकी सारी तकलीफे दूर होने लगती हैं। उनसे अपनी हर परेशानी बताए , उनके बताए हुए रास्ते पर चले क्युकी उमर और अनुभव दोनो में ही वो हमसे बढ़े हैं।
दोस्तों का साथ औषधि की तरह होता है। उनके साथ बिताया हुआ थोड़ा समय भी आपको पॉजिटिविटी से भर देता हैं।