सनातन धर्म में आस्था का सबसे बड़ा प्रतीक मंदिर ही हैं। यह वो स्थान है जहा आप ईश्वर की आराधना करते हैं, ध्यान लगाते है, और अपनी इच्छा ईश्वर के समीप रखते हैं।
शाब्दिक अर्थ निकाला जाए तो मंदिर वह स्थान है जहा व्यक्ति अपने हृदय के हर भाव को सच्चे मन से ईश्वर के समक्ष रखता हैं। आइए आज हम आपको बताएंगे मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें:
आप कभी भी चप्पल पहन कर मंदिर के अंदर नहीं जाते है, क्या आपको पता है इसके पीछे छुपा कारण क्या है। इसका कारण आध्यात्मिक भी है और साइंटिफिक भी हैं।
आधात्मिक कारण यह है की भगवान के दर बार में या किसी कथा पूजन में हम जूते , चप्पल नहीं पहनते हैं।
साइंटिफिक कारण की बात करे तो मंदिर वह स्थान है जहा बहुत पॉजिटिविटी होती है। यहां मैग्नेटिक और इलिट्रिक पावर अधिक होती है और नंगे पर जाने पर यह पावर हमारे अंदर तक जाती हैं।
आपने अक्सर ही यह देखा होगा लोग आरती के ऊपर हाथ फेरते है और उसे माथे या आखों पर लगाते हैं, जिसका प्रमुख कारण है दिए से उपन्न हुई ज्योती की से हाथ हल्के गर्म हो जाते है और शरीर पर लगाने से शरीर सक्रिय हो जाता हैं।
मंदिर में घंटे बजने की ध्वनि से करीब 7 सेकंड तक गूंज उठती है जिससे मंदिर के आस तक पॉजिटिव ध्वनि गूंज जाति है। जो वयक्ति के कानों तक जाती है और उसमे भी पॉजिटिव वाइब्स आती हैं।
मंदिर में हवन पूजन होने से आस पास की हवा शुद्ध होती हैं और इसके पीछे एक और कारण यह है की हवन से उठने वाले धुएं से मच्छर , मक्खी और कीटनाशकों का अंत होता हैं।
आपने अक्सर ही देखा होगा कि भगवान की मूर्ति मंदिर के बीचों बीच स्थित गर्भ गृह में ही स्थापित की जाती हैं, जिसका प्रमुख कारण है मंदिर के बीचों बीच सबसे अधिक मैग्नेटिक फील्ड होता है जो पॉजिटिव एनर्जी को सबसे अधिक अपनी ओर खींचता हैं।
मंदिर की परिक्रमा करने से शरीर में पॉजिटिव एनर्जी आती हैं और व्यक्ति का आत्म विश्वास बढ़ता है।