जैसा की आप ने अक्सर देखा और सुना होगा की लहसुन प्याज से बना खाना कभी भी भगवान को भोग न लगाएं। आइए जानते है इसके पीछे जुड़ी पौराणिक कथा।

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समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकाला गया, तब श्री हरी विष्णु ने वह अमृत देवताओं को पिलाना शुरू किया। 

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हरी विष्णु जी जब देवताओं को अमृत पिला रहे थे तभी वहा पर एक राक्षस देवता का भेष बनाकर पंक्ति में बैठ गया।

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भेष बदले हुए राक्षस को सूर्य देव और चंद्र देव ने पहचान लिया जिसकी जानकारी देवों ने तुरन्त भगवान विष्णु को दी।

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लेकिन जब तक सूर्य और चंद्र देव यह ज्ञात करके विष्णु भगवान को बता पाते उसने कुछ बूंद अमृत की पी ली।

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सारी बातों के विषय में ज्ञात होते ही भगवान विष्णु ने तुरंत उसका सर धड़ से अलग कर दिया। 

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सर कटने पर कुछ रक्त की बूंदे जमीन पर गिर गई जिससे लहसुन, प्याज की उत्पत्ति हुई। इसलिए लहसुन प्याज को भोग में वर्जित माना गया हैं।

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भगवान विष्णु ने जिस राक्षस का सर काटा। उसका सर का हिस्सा राहु और धड़ भाग केतु बना।

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अमृत पान करने के कारण राहु और केतु जीवित बच गए और बुरे दानवों के रूप में जाने जाते हैं।

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पौराणिक कथाओं की माने तो लहसुन, प्याज तामसिक भोजन होता है, जिसके कारण भी इसका दोष माना गया हैं।

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