जब बात शादी समारोह, पूजन, व्रत , त्यौहार की आती है तो साड़ी आज भी लोगों की पहली पसंद हैं। साड़ी कभी आउट ऑफ फैशन नहीं होती है। हर वर्ग , हर जाति धर्म की महिलाएं, अभिनेत्री हो या आम इंसान साड़ी सभी की पहुंच में है। साड़ी को पुराने जमाने से ही सबसे श्रेष्ठ पहनावा बताया गया हैं। 

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ऐसे में हम आपके लिए लेकर आए हैं कुछ ऐसी बेहतरीन साड़ियां जो न ही कभी फैशन से जायेगी। इन साड़ियों को पहनकर आपकी चमक और बढ़ जाएगी।

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यह है वो खास 10 साड़ियां : 

बनारसी साड़ी, सिल्क साड़ी, पाटन पटोला साड़ी, कांजीवरम साड़ी, गड़वाल, जामदानी , पैठणी ,घरचोला , चंदेरी, पोचमपल्ली इक्कतो 

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बनारसी साड़ी 

बनारसी साड़ी का इतिहास बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत बनारस शहर से हुई हैं। उत्तरप्रदेश के आजमगढ़, मिर्जापुर , चंदौली, बनारस,  जौनपुर और संत रविदास नगर में बनारसी साड़ी बनाई जाती है।

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सिल्क साड़ी  

रेशम के धागों से बनाई जाने वाली यह साड़ी सबसे मंहगी साड़ियों में से एक हैं। यह देखने और पहनने में जितनी नाजुक होती हैं उतनी ही रखरखाव की जरूरत भी होती हैं। 

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पाटन पटोला 

पाटन पटोला साड़ी गुजरात की रेशमी साड़ी हैं। जिसे बुनाई से पहले निर्धारित स्थानों पर गांठ बांधकर रंग दिया जाता हैं। पाटन पटोला साड़ी की बुनाई में प्रयोग किया जाने वाला धागा कर्नाटक या पश्चिमी बंगाल से आता हैं। 

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कांचीवरम साड़ी  

कांचीवरम साड़ी का संबंध दक्षिण भारत से हैं। यह शहरी भारतीय महिलाओं की पहली पसंद मानी जाती हैं।  कांचीवरम साड़ी का सिल्क सबसे शानदार क्वाल्टी का होता हैं। कांचीवरम दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य के कांचीपुरम शहर में बनाई जाती हैं। 

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गड़वाल साड़ी 

गड़वाली साड़ी भारत के एक मशहूर राज्य तेलंगाना से संबंधित हैं। गड़वाल साड़ी जोगुलंबा गडवाल जिले में बुनी जानी वाली हस्तस्लिप कला का बेहतरीन उदाहरण हैं। ये साड़ियां जरी के लिए बेहद उल्लेखनीय हैं।

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जामदानी साड़ी 

जामदानी साड़ी की विशेष बात यह है की , ये किसी साड़ी का नाम नहीं है अपितु साड़ी पर होने वाली कारीगरी का नाम हैं । इस प्रकार की साड़ी में कारीगरी को हॉरिजॉन्टल तरीके से किया जाता हैं।

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पैठणी साड़ी 

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के छोटे से नगर में बनी यह साड़ी आज देश भर में प्रचलित हैं। पैठणी साड़ी का इतिहास बहुत पुराना हैं। पैठणी साड़ी की उत्पत्ति सातवाहन वंश के समय से मानी जाती हैं।

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घरचोला साड़ी 

इन साड़ियों को घाटचोला साड़ी भी कहते हैं। घाटचोला साड़ी की उत्पत्ति गुजरात से हुई हैं। गुजरात की प्रसिद्ध घाटचोला साड़ी या सूती या रेशम की बुनाई से बनी होती हैं। इन साड़ियों को यह खूबी होती है की बड़े चेक के पैटर्न पर जरी का काम होता हैं। इसके बाद इन साड़ियों पर राजस्थानी रंग चढ़ाया जाता हैं।

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चंदेरी साड़ी 

चंदेरी साड़ी शुद्ध रेशम या चंदेरी कपास से बनती हैं। इनका इतिहास बहुत पुराना हैं करीब 1890 से इन साड़ियों का चलन शुरू हुआ था।

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पोचमपल्ली इक्कतो साड़ी 

पोचमपल्ली इक्कतो साड़ी तेलंगाना राज्य के भुवनगिरी जिले में बनाई जाती हैं। इस साड़ी के नाम में इकत एक पैटर्न होता है जिसके आधार पर इन साड़ियों की बुनाई की जाती हैं।

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