हम भारत देश के वासी है, जहा तीज, त्यौहार, व्रत,पूजन, का विशेष महत्व होता हैं। ऐसे ही एक व्रत हरितालिका तीज की हम बात करेंगे जाने कैसे होना है आपको तीज पर तैयार पूरे 16 श्रृंगार करके।
16 श्रृंगार को सुहागन स्त्रियों के बेहद जरूरी माना गया है ऐसा करने से सुहाग की उमर लंबी होती हैं। साथ ही मां पार्वती की कृपा भी होती हैं। तो आइए जानते है कौन से है वो 16 श्रृंगार:
स्नान को श्रृंगार का पहला चरण माना गया है की सबसे पहले आप अपने शरीर की शुद्धि करें। इस स्नान में हल्दी का उबटन लगाने का भी रिवाज़ शामिल हैं।
सुहागन स्त्रियों को कुमकुम की बिंदी अवश्य अपने माथे पर लगानी चाहिए इससे आपके चेहरे की शोभा बढ़ जाती हैं।
हिंदू धर्म में सिंदूर का विशेष महत्व है। इसे सुहागन स्त्री के लिए सर्वोपरी माना गया है। पति की लंबी उम्र को कामना करते हुए स्त्रियां अपने मांग में सिंदूर भरती हैं।
काजल बुरी नजर से बचाने के साथ ही आपके आखों की खुबसूरती को भी बढ़ाती हैं।
मेंहदी को बेहद शुभ और मांगलिक माना गया है। व्रत , तीज , त्यौहार आदि विशेष अवसरों पर सुहागन स्त्रियां अपने हाथों में मेंहदी रचाती
हर धर्म में सुहाग की निशानी होती हैं। ऐसे में हिंदू धर्म में बिछिया को सुहाग की निशानी माना गया है। इसे केवल विवाहित महिला ही धारण करती हैं। विवाह रस्म के दौरान ही इसे वर पक्ष द्वारा पहनाया जाता हैं।
हिंदू धर्म में सुहागन को सुनी कलाई रखने की मनाही है। कांच लाल और हरी चूड़ियां को सुख सम्पन्नता का प्रतीक माना गया हैं।
मंगलसूत्र धारण करने से विशेष प्रयोजन है उन काली मोतियों से है जो आपको और आपके सुहाग को बुरी नजर से बचाती हैं। इसलिए इसे गले में सदैव धारण करें।
नथ को ही नथनी भी कहा जाता हैं। नाक चेदन एक संस्कार भी है जिसके अनुसार विवाह से पूर्व स्त्री की नाक अवश्य चेंदी होनी चाहिए।
गजरा आपके बालों की खुबसूरती बढ़ाने के साथ ही साथ खुशबू से आपको खास भी बनाता हैं। बेला , मोगरा , गुलाब आदि के गजरे बहुत प्रचलित हैं।
मांग टीका लगाने का रिवाज़ बहुत पुराना हैं। माथे के बीच में लगाए जाने वाले मांग टिके से स्त्री का सौंदर्य और भी निखर जाता हैं।
झुमका स्त्रियां अपने कानों में पहनती है जिससे उनके चेहरे की शोभा बढ़ जाती हैं।
बाजूबंद को हाथों में पहना जाता हैं। कांधे के नीचे हिस्से में यह बाहों की सुंदरता को बढाता हैं।
कमरबंद को करधनी भी कहा जाता हैं। यह बेल्ट के समान ही आभूषण होता है जिसे स्त्रियां अपने कमर पर पहनती हैं यह भी बेहद खूबसूरत और प्राचीन आभूषण हैं।
हिंदू धर्म के अनुसार कमर से नीचे सोने को धारण करने की मनाही है सोना अति शुद्ध और पवित्र माना जाता है। इसलिए पैरो में चांदी की पायल बिछिया धारण करने का रिवाज़ है। जो स्त्री पायल पहनती है उसमे हार्मोन्स संतुलित रहते हैं साथ ही पायल के स्वर से घर में खुशियां आती हैं।
अंगूठियों को स्तरीय उंगली में पहनती है। आज के समय में लड़का लड़की एक दूसरे को अंगूठी पहनाते है जिसे सगाई की रस्म भी कहा जाता हैं।
समय के साथ साथ फैशन जगत में स्त्रीयों को सजाने संवारने हेतु और भी विकल्प आ रहे है जिससे वह अपना सौंदर्य बढ़ा सके। इसी क्रम में नेल पॉलिश, लिपस्टिक , टैटू, महावार , रोली आदि भी श्रृंगार के प्रतीक हैं।
सुहागन स्त्रियों को तीज व्रत पूजन आदि में हरा या लाल रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए क्युकी इन दोनों को रंगो को सुहागन स्त्रियों के लिए शुभ माना गया हैं।