खुशनसीबी का सर पर ताज होता हैं
जिनके हाथों में पिता का हाथ होता हैं।
हजारों मुश्किलें खड़ी हो दीवारों सी
पर टकराने वाला एक पिता होता हैं।
जिद कैसी भी हो पूरी जरूर होती हैं
जिनके सर पे पिता का हाथ होता हैं ।
तन पर बेशक लिबास कम हो
पैरों में हजारों काटें क्यू न चुभे हों
फिर भी हर मुश्किल डगर पर
हाथ थाम चलने वाला पिता होता हैं।
जब बंद हो जाए किस्मत के सब दरवाज़े
फिर भी न हार माने वो पिता होता हैं।
खुशी का हर लम्हा पास होता हैं
जब पिता साथ होता हैं ।
मां को प्रेम की सब मूरत समझते हैं
उससे हो मिलती जुलती उसकी सूरत समझते हैं,
पर नसीब को बनाने वाला वो रचयिता होता हैं
हां वो एक पिता होता हैं।